अपने गृहनगर पर पीछे मुड़कर देखें तो वहां कढ़ाई के ढेर लगे हैं (चौबीस) मूल इरादे को कभी न भूलें

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इस लेख में लेखक अपने गृहनगर के सुंदर दृश्यों और सरल लोक रीति-रिवाजों की समीक्षा करता है और साथ ही अपने गृहनगर के प्रति अपने गहरे लगाव को भी व्यक्त करता है। यह लेख हमें पुरानी यादों के आकर्षण और शक्ति का एहसास कराता है।